ऑस्ट्रेलिया मे हो रहा कॉमनवेल्थ खेल ख़त्म हो चूका है, और इस बार का कॉमनवेल्थ भारत के लिए बाकी पिछले सालों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही खास रहा| इस बार के खेल में भारत की तरफ से कुल मिलाकर 218 खिलाडियों ने भाग लिया| जिसमें 115 पुरुष और 103 महिलायें खिलाड़ी थी| अगर पदक जीतने की बात करें तो पुरुष महिलाओ के सामने फीके नजर आ रहे हैं| गोल्ड कोस्ट मे जहां भारत ने 26 स्वर्ण जीते, उसमे से 13 पुरुष वर्ग ने तो वहीँ 12 स्वर्ण लड़कियों ने जीते|
आज भी हमलोग ऐसे समाज में रह रहे है जहां बेटा पाने के लिए मन्नते मांगी जाती है, और बदकिस्मती से बेटियां पैदा हो जाती है| एक सर्वे 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में बेटों की चाहत में 2.1 करोड़ अनचाही लड़कियां पैदा हुई| यानी मन्नते मांगी गयी बेटों के लिए और पैदा हो गयी बेटियां, और ना जाने कितनी ही बेटियों ने कोंख में ही दम तोड़ दिया होगा|
आज के आधुनिक भारत की बात करें तो आज भी लडकियों को लडको की अपेक्षा भेदभाव का शिकार होना पड़ता है, और सुविधायें भी कम मिल पाती है, लेकिन अपेक्षाएं ज्यादा होती है|
आज हम किसी भी क्षेत्र की बात करे, हर क्षेत्र मे लडकिया बाजी मार रही है| चाहे शिक्षा की बात करे, खेल-कूद की, सिविल सर्विस की, या देश सेवा की, हर जगह आप लडकियों को अव्वल पाएंगे|
आज जहाँ लड़कियों को खेलने से पहले नसीहत दी जाती है कि क्या कपड़े पहन कर खेलना है, कैसे खेलने है, कितनी देर तक खेलना है| सानिया मिर्ज़ा जिन्होंने भारतीय टेनिस का नाम दुनिया में रौशन किया उनके स्कर्ट पहन कर खेलने पर भी फतवा जारी किया गया था|
अब इतने सारे बंदिशों के बाद भी अगर लड़कियां लडको से आगे निकल रही है, तो जरा सोचिये अगर बराबरी का माहौल मिल जाये तो यक़ीनन ही वो अपने आप को नये आयाम तक ले जाएगी|
आप सब ने शायद फेसबुक पर एक पोस्ट देखा होगा जिसमे एक लड़के ने पूछा था कि ऐपल के सीईओ (टिम कुक) हैं, फ़ेसबुक के सीईओ (मार्क ज़करबर्ग) हैं, और गूगल के सीईओ (सुंदर पिचाई), सब के सब पुरुष है; तो लड़कियां टॉप करके करती क्या हैं?
जवाब में एक लड़की ने लिखा – आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ महिला (चंदा कोचर) हैं, एक्सिस बैंक की सीईओ महिला (शिखा शर्मा) है, और एसबीआई की चेयरपर्सन भी महिला (अरुंधति भट्टाचार्य), जो तुम जैसे लड़कों को लोन देती हैं|